Neend- नींद


कभी नींद नहीं आती है 
आज सोने को “मन” नहीं करता 
कभी छोटी सी बात पर आँशु बहजाते है
आज रोने तक का “मन” नहीं करता  
जी करता था लूटा दूँ खुद को या लुटजाऊ खुद पे
आज तो खोने को भी "मन" नहीं करता  
पहले शब्द कम पड़ जाते थे बोलने को 
लेकिन मुँह खोलने को “मन ” नही करता 
कभी कड़वी याद मिठे सच याद आते है
आज सोचने तक को “मन” नहीं करता 
मैं कैसा था ?और कैसा हो गया हूँ  
लेकिन आज तो ये भी सोचने को “मन” नहीं करता

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