सफर

कुछ सफ़र ज़िन्दगी के ऐसे होते है,
जिसमें पैर नहीं दिल थक जाते है..!!
हद-ए-शहर से निकली तो गाँव गाँव चली
कुछ यादें मेरे संग पांव पांव चली
सफ़र जो धूप का किया तो तजुर्बा हुआ
वो जिंदगी ही क्या जो छाँव-छाँव चली।।
सफर कुछ ऐसा भी जिसमे चली दो जिंदगी
         एक इस डगर तो दूसरा  उस डगर
ऐसा लगे  कभी न मिले जिंदगी
         फिर एक मोड़ आता है दोनों को मिलाता है
नई राह और नई उम्मीद जगाता है
           सफर कुछ ऐसा भी जिसमे चली दो जिंदगी।।

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