रात्रि (night )

रात का टाइम और शोर शराबा
     बच्चों ने मुझे फिर से दाबा
मामा मामा करते आये
     मुझमें दो तीन लगाए
कोई इन शैतानो से मुझे बचालो
      रात्रि में मुझे छुपालो-2
फिर से छोटी आती है 
   मामा कह कर मुझे बुलाती है
साथ मे डंडा लाती है
    फिर मुझे भागती है
अरे कोई तो मुझे बचालो
      रात्रि में मुझे छुपालो-2

सफर

कुछ सफ़र ज़िन्दगी के ऐसे होते है,
जिसमें पैर नहीं दिल थक जाते है..!!
हद-ए-शहर से निकली तो गाँव गाँव चली
कुछ यादें मेरे संग पांव पांव चली
सफ़र जो धूप का किया तो तजुर्बा हुआ
वो जिंदगी ही क्या जो छाँव-छाँव चली।।
सफर कुछ ऐसा भी जिसमे चली दो जिंदगी
         एक इस डगर तो दूसरा  उस डगर
ऐसा लगे  कभी न मिले जिंदगी
         फिर एक मोड़ आता है दोनों को मिलाता है
नई राह और नई उम्मीद जगाता है
           सफर कुछ ऐसा भी जिसमे चली दो जिंदगी।।

भारत के 7 अलग-अलग नाम

बहुत से लोग सोचते थे कि भारत में केवल तीन नाम हैं, अर्थात् भारत, भारत और हिन्दुस्तान, लेकिन नहीं, बहुत नाम है जिसे आप नहीं जानते, इसके लंबे और समृद्ध इतिहास के कारण भारत के कई नाम हैं।
तो, यह आज कुछ नया है जिसे आप जानते हैं,
भारत: - पौराणिक हिंदू राजा भरत के नाम पर प्राचीन भारतीय ग्रंथों का नाम लिया गया है। और आधिकारिक संस्कृत नाम।

हिंदुस्तान: - हिमालय 'HI' और सिंधु नदी 'इंडू' के बीच का मतलब फारसी द्वारा दिया गया है

इंडिया: - पश्चिमी देशों द्वारा दिए गए सिंधु(Indus) नदी से परे क्षेत्र को दर्शाता है
'Aryavarta': - शास्त्रीय संस्कृत साहित्य में भारत के लिए नाम। आर्यों की भूमि

जंबुद्विप: भारत के नाम के लिए प्राचीन ग्रंथों में भारत भरने से पहले आधिकारिक नाम के शास्त्रों में प्रयुक्त होने का प्रयोग शुरू हुआ।

'Tianzhu':- प्राचीन भारत के लिए चीनी नाम, लगभग "स्वर्ग केंद्र" का अनुवाद करता है

'Tenjiku': - पूर्व-आधुनिक युग के लिए जापानी नाम। टियान, जिसका अर्थ है "स्वर्ग", जबकि, जुकू का अर्थ है: "का केंद्र"

फ़र्ज़ और बलिदान ~ part (2) भारतीय सेना के अदम्य साहस की कहानी!

ये सुनकर कैप्टन भरत तिवारी ने कहा सर लेकिन गिनती के 250 जवान, 1 मेजर, 1 कप्तान, 2 लेफ्टिनेंट और 3 सूबेदार, बन्दूकों के नाम पर पुरानी जंग लगी राइफलें, न तो तो तोपखाना, न मोर्टार, न माउन्टेन बैटरी ! हमें पीछे हटकर इंतज़ार करना चाहिए मदद का ।
मेजर- "कैप्टन! तुम्हारी बात में दम है लेकिन तुम पीछे हटोगे तो कहाँ हटोगे?
पीछे दौलत बेग ओल्दी में आये बर्फ़ के तूफान में ?
दक्षिण का दमचौक व जरला क्षेत्र का बेस कैम्प भी यहाँ से 100 मील दूर है। आर्टिलरी और मोर्टार छोड़ो यहाँ सैनिकों की ताजी कुमुक भी नहीं आ पाएगी ।
और मुझे विश्वास है की तुम बर्फ़ के तूफ़ान में दब कर मरने, या पीठ पर गोली खाने के बजाय 50चीनीयों को मार कर शहीद कहलाना पसन्द करोगे ।"
भरत- "यस सर !"
भरत ने मुड़ कर आवाज लगाई तो लेफ्टिनेंटकृष्णकांत और हरी सिंह, सूबेदार मेजर राम सिंह और नायब सूबेदार रामचन्द्र देशमुख के साथ250 सैनिक कतार में खड़े थे।
भरत ने ओजपूर्ण लहजे में कहना शुरू किया;
" मेरे जवानों! हमले की तैयारी की जाये, समय बिल्कुल भी नहीं है । बर्फ के तूफ़ान में दबकर मरने से अच्छा है हम शौर्य प्रकट करें ।
[ads-post] याद रखना "योग में लीन योगी औरयुद्धभूमि में लड़ता योद्धा मृत्यु के बाद भी सूर्यमण्डल को भेद देते हैं ।
ईस 200 साल पुरानी रेजिमेंट ने कभी हार का मुँह नहीं देखा है । हमने या तो विजय प्राप्त की है, या अपना बलिदान दिया है। सर्वत्र विजय है हमारा ध्येय, ये वाक्य, याद रखना।
भरत ने भाषण खत्म होने के बाद कहा कोई सवाल ...?
जवानों ने एक स्वर में कहा, "नो सर!"
भरत- जय हिन्द ।
और 250 जवानों की गगन भेदी आवाज गूंजी, "जय हिन्द" !
भरत ने कहा डिसमिस और सैनिक तैयारियों में जुट गए ।
शाम घिर आई थी अब तक, सूबेदार मेजर राम सिंह ने आकर भरत को सैल्यूट किया और बोले जय हिन्द सर ।
भरत- जय हिन्द सूबेदार साब! तैयारी कैसी है आपकी ?
राम सिंह- कप्तान साब, तैयारियां चाक-चौबंद हैं,हरी और कृष्णकांत साब अपने गश्ती दल के साथ अभी लौटे नहीं हैं ।
आप एक बार मोर्चे का निरीक्षण कर लें तो बेहतर होगा ।
भरत राम के साथ गया और मोर्चेबंदी को देख कर लौट आया ।
रात घिर आई थी, कृष्णकांत और हरी थके-माँदे गांफिल पड़े थे अपने दल के साथ । भोजन तैयार हो रहा था और बाकी जवान अपनी- अपनी जगह सतर्क और सीमा पर आँख गड़ाये बैठे थे।
भरत ने अपने कम्पनी कमांडर की ओर देखा और बोला सर जी! पता नहीं क्यों ? कुछ अनिष्ट की आशंका हो रही है ।
परिस्थितियाँ बिल्कुल अनुकूल नहीं हैं इस बार। चीन ने बड़ी तैयारी से हमला किया है वरना गुरखा रेजिमेंट को पीछे हटना पड़ा; विश्वास नहीं होता ।
मेजर ने एक नजर कप्तान पर डाली फिर जलती आग की ओर देखते हुए बोले -"मैंने विश्वयुद्ध देखा है कैप्टन । 1942 में इसी राजपूताना राईफल्स मेंकमीशन मिला था मुझे 2nd लेफ्टीनेंट की रैंक पर जर्मन सेना की सबसे खतरनाक और शक्तिशालीSS- बटालियन को रौंद कर रख दिया था मैंने। न जाने कितने जर्मनों को यमलोक भेजा है ।
परिस्थितियाँ यहाँ से भी खराब थीं । गोलियाँ खत्म होने पर संगीनों के सहारे लड़ाई लड़ी है । लगता था की बस अंत आज ही है लेकिन हर बार विजय मिलती और बच जाता। ब्रिटिश अफसर तक कायल थे मेरी बहादुरी के, न जाने कितने देसी-विदेशी सैनिकों और अधिकारियों की प्राण रक्षा मैंने की है" ।
विश्वयुद्ध समाप्त हुआ 1945 में और ठीक 3 साल बाद कश्मीर में पाकीयों को दौड़ा-दौड़ा कर मारने
पर वीर चक्र मिला और आज इन अफीमची चीनियों की बारी है ।
परिणिता मेरे मन मेँ बड़ी गहराई तक रची बसी थी और मैँ उसका शव देख जड़ रह गया था।छोटी बहन  और भाईसाहब ने कई रिश्ते देखे पर मैँ न माना।
कैसे मैँ भूल जाता परिणिता को? उसके लहुलुहान शव को? कैसे कैप्टन कैसे?
कहते-कहते मेजर का गला रुंध गया।भरत ने मेजर के कंधे पर हाथ रख कर कहा सॉरी सर।
मेजर ने अपनी नम आखेँ पोंछी और भरत से पूछा तुम बताओ तुम्हारी शादी हुई या नहीँ?
भरत बोला हो गई है सर! और फिर सकुचाते हुए बोला मधुरिमा मिश्र से मधुरिमा तिवारी बनाने  मेँ बड़े पापड़ बेलने पड़े|
मेजर ने हंसते हुए कहा अच्छा तो मेरे सेकेण्ड इन कमाण्ड को पापड़ बेलना भी आता है। मैँने सोचा तुम
केवल अचूक निशाना लगाने और फौजी कमाण्ड देने के अलावा बिलकुल बेकार हो!
मेजर ने फिर पूछा और बच्चे?
भरत ने जरा यादोँ मेँ खोकर कहा सर एक बच्ची है6 माह की; कृति नाम है और मैँने तो अभी उसे देखा
भी नहीँ है, यहां से लौटूंगा तभी भेँट होगी।
बातोँ का सिलसिला चलता रहा और अगली सुबह घिर आयी।
अगला दिन 21 Oct. 1962
पूरी तरह शान्त रहा जैसे तूफान आने के पहले समुद्रशान्त हो। पूरा दिन बीतने के बाद 22 Oct. को रात12.15 पर हमला हुआ।
चीन की पूरी एक ब्रिगेड ने घातक हथियारोँ के साथ हमला किया था।
कम्पनी कमाण्डर ने फायरिँग के आदेश दिये और राजपूताना राईफल्स के वारक्राई राजा रामचंद्र की जय की गगनभेदी गूँज के बाद सैनिको ने फायरिँग शुरु कर दी।
पैदल चीनी आगे बढ़ते और गोली खाकर गिरपड़ते, लेकिन कब तक? धीरे-धीरे कारतूस लगभग खत्म हो गये तो भरत ने फायरिँग धीमी करने के आदेश दिये जिससे बेवजह कारतूस जाया न होँ। उधर चीनी कमाण्डर ने भी भांप लिया की दुश्मन की बंदूके खाली है और उसने पूरी ब्रिगेड को एक साथ झोँक दिया।
भरत ने फिर फायरिँग शुरु कर दी और वातावरण सैनिकोँ की चीखोँ, बारुद की गंध और गोलियोँ की आवाज से फिर से भयावह हो गया था धरती रक्त से लाल हुई जाती थी लेकिन मशीनगनोँ के आगे3नाटॅ3 की राईफल कब तक टिकती? कुछ की बंदूके खराब हो गई थी तो कुछ के कारतूस खत्म हो गये थे। अचानक एक ग्रेनेड कैम्प मेँ गिरा और जोरदार धमाके के साथ कम्पनी कमाण्डर मेजरवीरभद्र सिँह शहीद हो गये थे ।
भरत की आंखो मेँ आसूं आ गये थे। उसने देखा राम सिँह मृत पड़े थे।लेफ्टिनेँट हरि कृष्णकांत को  फर्स्टएड दे रहे थे की कारबाईन की 7-8 गोलियाँ उनके सीने मेँ धंसती चली गईँ  और  वह वहीँ जमीनपर गिर गये।
भरत की बंदूक मेँ बुलेट फंस गई थी, वह झल्ला उठा था। आस-पास देखा तो 20 कदम पर हरी की राइफल पड़ी थी। भरत बड़ी सतर्कता से कोहनी के बल रेंगकर गया और बंदूक लेकर लौटने के बाद जैसे ही अपनी पोजिशन पर चढ़ना चाहा 3-4गोलियाँ उसके पेट और जांघो मेँ आ लगीँ।
भरत कुछ पल दम साधे पड़ा रहा फिर साहस बटोर रेत की बोरी पर चढ़कर गोली चलानी शुरु की लेकिन 5-7 फायर के बाद मैगजीन खाली हो गई थी।उसने देखा तो बैग मेँ 2 ग्रेनेड बाकी थे । चौकी पर तैनात सारे जवान शहीद हो चुके थे और चीनी लेफ्टिनेंट सबसे आगे सैनिकों को लिए बढ़ता आ रहा था ।
भरत के मुँह से खून निकल रहा था। उसने कोहनी से होंठ पोंछे, रक्तरंजित होंठो पर क्रोधयुक्त विजयी मुस्कान दौड़ गयी। उसने ग्रेनेड हाथों में लिया और इंतज़ार करने लगा । जब चीनी कमांडर  4-5 कदम दूर था तभी भरत ने ग्रेनेड की सेफ्टीपिन खींच कर अपने जैकेट में डाल ली और एक बार फिर राजपूताना के वार क्राईराजा रामचन्द्र की जय कहकर सीधा चीनी सैनिक अधिकारी पर कूद पड़ा । 
भरत के अचानक छलाँग लगाने से कोई कुछ समझता इसके पहले वह कमांडर को अपने  मजबूत हाथों में पकड़े जमीन पर गिर पड़ा। बाकी चीनी जवान पहले तो हड़बड़ा कर पीछे हटे लेकिन अपने अधिकारी को भरत के हाथों में जकड़ा देख भरत के ऊपर बन्दूक की बट से मारना शुरू किया और ईधर भरत आँखे बन्द किये दम साधे गिन रहा था 22, 23, 24........
उसके मन में एक-एक कर शहीद मेजर, हरी सिंह और अन्य जवानों की तस्वीरें आ-जा रहीं थीं । उसने गिना 26, 27.......उसके मन में हूक सी उठी और याद आई मधुरिमा; उसकी दिल जीत लेने वाली हंसी, उसने गिना 28, 29.......उसे याद आई कृति की; उसकी 6 महीने की बेटी जिसे उसने अभी देखा ही नहीं था, उसके जन्म के 4 महीने पहले ही तो वह लौट आया था ड्यूटी पर।
भरत का चेहरा पत्थर की तरह सख़्त हो चुका था। उसने गिना  30 और एक साथ 2 धमाकों में भरत के साथ 8-10 चीनी सैनिकों के चिथड़े उड़ गए। दरअसल हैण्डग्रेनेड की सेफ्टीपिन निकले 30सेकेंड पूरे हो चुके थे ।
(समाप्त

फ़र्ज़ और बलिदान ~ part(1) भारतीय सेना के अदम्य साहस की कहानी!

एक मनुष्य का जन्म ही कर्मो के अधीन होता है,हर क्षण कर्म करते रहना उसका स्वभाव है"
भगवान श्री कृष्ण ने रक्तरंजित कुरुश्रेत्र कि भूमि पे ,अर्जुन को कर्म का ही उपदेश दिया था,भाई-बहन,माता-पिता,गुरु-शिष्य,सखा-सहपाठी, इन रिश्तो का सत्य के सामने,अपने कर्तव्य के सामने,और मातृभूमि के सामने कोई मोल नही,ये भगवान श्री कृष्ण ने बताया था।
पितामह भीष्म ने स्वयं कहा था की,  "एक मनुष्य को सबसे ज्यादा प्रेम अपने मातृभूमि से करना चाहिए, अगर मैने  अपने पिता के लिए अपने मातृभूमि को बिना किसी योग्यता को परखे,यू न छोड़ा होता,तो आज ये महाभारत ये युध्द ना होता। और जब-जब मानवजाति अपने मातृभमि से ज्यादा अपने जज़्बातो,अपने रिश्तो को महत्व देगी,तब-तब ऐसे ही महाभारत होते रहेँगे"।
तो यहाँ यथार्थ ये आता है की, "कर्म,देश के प्रति कतर्व्य, और निष्ठा सभी फर्जो ,सभी मुल्यो से सर्वोपरि है"। इसके आगे समस्त रिश्ते मुल्यहीन हो जाते है,सारे दायित्व छोटे पड़ जाते है।
"मातृभूमि के प्रति कर्तव्य सर्वोपरि है,युध्द जीता तो राज भोगो गे, और शहीद हुए तो स्वर्ग की प्राप्ती होगी"।
महाभारत का युध्द मातृभूमि पे अधिकार,और राज्य के प्रति कर्तव्यपरायणता का ज्वलंत उदाहरण है।
यहाँ ऐसी ही एक वीर रस युक्त मर्म-र्स्पशी घटना का उल्लेख है, जिसमे देश के प्रति अपने कतर्व्य पालन को पुरा करने के लिए कैसे सारे रिश्तो को भूलकर उनका बलिदान कर दिया जाता है,का सजिव चित्रण है, जो निम्नवत है
तारीख 20 Oct. 1962,
सुबह के लगभग 8 बजे; भारत-चीन सीमा नियंत्रण रेखा मैक-मोहन रेखा।
5 वीं जाट बटालियन राजपूताना राईफल्स के 250 जवान सीमा पर तैनात थे। अचानक से रेडियो पर स्वर उभरा; रेडियो ऑपरेटर ने बात की और एक दहला देने वाली खबर सुनाई- "आज सुबह 5.14 पर चीन की पीली सेना ने भारी संख्या में अक्साई चीन की सीमा पर हमला किया, वहाँ कुमाऊँ रेजिमेंट के 123 जवानों के साथ तैनात कम्पनी कमांडर मेजर शैतान सिंह ने बड़ी वीरता से सामना किया लेकिन वे सभी शहीद हो गए।
दूसरा  हमला सुबह 6.30 पर लम्का- चू नदी पर हुआ और गुरखा रेजिमेंट को बुरी तरह घायल होकर पीछे हटना पड़ा।
हमें आदेश है कि 5 वीं जाट बटालियन,राजपूताना राईफल्स तुरन्त सक्रिय होकर सम्पर्कं बनाये और सीमा पर कड़ी निगरानी रखें और हमला होने की स्थिति में आक्रामक रुख न अपनाकर बचाव करते हुए, पीछे हट जाये और दौलत बेग ओल्दी तक की सारी चौकियाँ
खाली कर दें ।"
खबर वाकई दहलाने वाली थी। सामने चीन की 6 ब्रिगेड और पीछे दौलत बेग ओल्दी का बर्फ़ का तूफान। मुकाबले के लिए मात्र 250 जवान,हथियारोँ के नाम पर पुरानी 3 क्नॉट 3 की राइफलें, खाने-पीने के सामान, कपड़े और दवाईयों की भारी कमी।
रेडियो ने खबर सुनाकर कैम्प में बैठे सैनिक अधिकारियों को चिंता में डाल दिया था।  एक  भयानक सन्नाटा छाया था कि कम्पनी कमांडर मेजर वीरभद्र सिंह ने दृढ़ स्वर में कहा -हम पीछे नहीं हटेंगे। मुकाबले की तैयारी करो।
प्रतिषा करे अगले भाग  का wait  part 2

मेरा “हिंदुस्तान” महान

आजादी की कभी शाम नहीं होने देंगे
शहीदों की कुर्बानी बदनाम नहीं होने देंगे
बची हो जो एक बूंद भी लहू की
तब तक भारत माता का आँचल नीलाम नहीं होने देंगे
मेरा “हिंदुस्तान” महान था,
महान है और महान रहेगा,
होगा हौसला बुलंद सब के ड़ों में बुलंद
तो एक दिन पाक भी जय हिन्द कहेगा.
न पूछो ज़माने को,
क्या हमारी कहानी है,
हमारी पहचान तो सिर्फ ये है,
की हम सिर्फ हिन्दुस्तानी हैं ……!
शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले,
वतन पे मर मिटने वालों का बाकी यही निशां होगा
खुशनसीब हैं वो जो वतन पर मिट जाते हैं,
मरकर भी वो लोग अमर हो जाते हैं,
करता हूँ उन्हें सलाम ए वतन पे मिटने वालों,
तुम्हारी हर साँस में तिरंगे का नसीब बसता है.

Indian army Final warning पाकिस्तान नहीं होगा”

टकरा पाये हमसे कोई , किसमें इतना दम है,
हिंदुस्तानी माँ का बेटा , जग में किससे कम है,
गीदङ भभकी से ङर जाये , वो भारत की संतान नहीं,
हम शेर हैं दुनिया के, शायद तुम्हें पहचान नहीं,
कान खोल कर सुन ले दुश्मन , चेहरे का खोल बदल कर रख देंगे,
जो बीता, इतिहास हुआ , अबके भूगोल बदल कर रख देंगे,
युद्ध अगर इस बार हुआ, तो युद्ध विराम नहीं होगा,
कश्मीर जहाँ है वहीँ रहेगा, पर पाकिस्तान नहीं होगा”.

मरने से पहले रावण ने लक्ष्मण को बताई थी ये 3 बातें 


जिस समय रावण मरणासन्न अवस्था में था, उस समय भगवान श्रीराम ने लक्ष्मण से कहा कि इस संसार से नीति, राजनीति और शक्ति का महान् पंडित विदा ले रहा है, तुम उसके पास जाओ और उससे जीवन की कुछ ऐसी शिक्षा ले लो जो और कोई नहीं दे सकता।
श्रीराम की बात मानकर लक्ष्मण मरणासन्न अवस्था में पड़े रावण के सिर के नजदीक जाकर खड़े हो गए। रावण ने कुछ नहीं कहा। लक्ष्मणजी वापस रामजी के पास लौटकर आए...तब भगवान ने कहा कि यदि किसी से ज्ञान प्राप्त करना हो तो उसके चरणों के पास खड़े होना चाहिए न कि सिर की ओर।
यह बात सुनकर लक्ष्मण जाकर इस बार रावण के पैरों की ओर खड़े हो गए
उस समय महापंडित रावण ने लक्ष्मण को तीन बातें बताई जो जीवन में सफलता की कुंजी है:
1. पहली बात जो रावण ने लक्ष्मण को बताई वह ये थी कि शुभ कार्य जितनी जल्दी हो कर डालना और अशुभ को जितना टाल सकते हो टाल देना चाहिए यानी शुभस्य शीघ्रम्। मैंने श्रीराम को पहचान नहीं सका और उनकी शरण में आने में देरी कर दी,इसी कारण मेरी यह हालत हुई।
2. दूसरी बात यह कि अपने प्रतिद्वंद्वी, अपने शत्रु को कभी अपने से छोटा नहीं समझना चाहिए, मैं यह भूल कर गया। मैंने जिन्हें साधारण वानर और भालू समझा उन्होंने मेरी पूरी सेना को नष्ट कर दिया। मैंने जब ब्रह्माजी से अमरता का वरदान मांगा था तब मनुष्य और वानर के अतिरिक्त कोई मेरा वध न कर सके ऐसा कहा था क्योंकि मैं मनुष्य और वानर को तुच्छ समझता था। यही मेरी गलती हुई।
3. रावण ने लक्ष्मण को तीसरी और अंतिम बात ये बताई कि अपने जीवन का कोई राज हो तो उसे किसी को भी नहीं बताना चाहिए। यहां भी मैं चूक गया क्योंकि विभीषण मेरी मृत्यु का राज जानता था। ये मेरे जीवन की सबसे बड़ी गलती थी।
आप भी इन बातों को गाँठ बांध कर रख लें और इन्हे समय समय पर याद करते रहें।

गीता के ये 12 उपदेश देते हैं सफल होने का संदेश

बड़े-बुजुर्गों को कहते सुना होगा कि गीता में जीवन का सार है. श्री कृष्ण ने महाभारत युद्ध में अर्जुन को कुछ उपदेश दिए थे, जिससे उस युद्ध को जीतना पार्थ के लिए आसान हो गया. यहां दिए गए गीता के कुछ उपदेशों को अपने जिंदगी में शामिल करके आप भी अपने लक्ष्य को पाने में सक्षम होंगे...
2/13
1. गुस्से पर काबू -
'क्रोध से भ्रम पैदा होता है. भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है. जब बुद्धि व्यग्र होती है तब तर्क नष्ट हो जाता है. जब तर्क नष्ट होता है तब व्यक्ति का पतन हो जाता है.'
3/13
2. देखने का नजरिया -
'जो ज्ञानी व्यक्ति ज्ञान और कर्म को एक रूप में देखता है, उसी का नजरिया सही है.'
4/13
3. मन पर नियंत्रण -
'जो मन को नियंत्रित नहीं करते उनके लिए वह शत्रु के समान कार्य करता है.'
5/13
4. खुद का आकलन -
'आत्म-ज्ञान की तलवार से काटकर अपने ह्रदय से अज्ञान के संदेह को अलग कर दो. अनुशासित रहो, उठो.'
6/13
5. खुद का निर्माण -
'मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है. जैसा वो विश्वास करता है वैसा वो बन जाता है.'
7/13
6. हर काम का फल मिलता है -
'इस जीवन में ना कुछ खोता है ना व्यर्थ होता है.'
8/13
7. प्रैक्टिस जरूरी -
'मन अशांत है और उसे नियंत्रित करना कठिन है, लेकिन अभ्यास से इसे वश में किया जा सकता है.'
9/13
8. विश्वास के साथ विचार -
'व्यक्ति जो चाहे बन सकता है, यदि वह विश्वास के साथ इच्छित वस्तु पर लगातार चिंतन करे.'
10/13
9. दूर करें तनाव -
'अप्राकृतिक कर्म बहुत तनाव पैदा करता है.'
11/13
10. अपना काम पहले करें -
'किसी और का काम पूर्णता से करने से कहीं अच्छा है कि अपना काम करें, भले ही उसे अपूर्णता से करना पड़े.'
12/13
11. इस तरह करें काम -
'जो कार्य में निष्क्रियता और निष्क्रियता में कार्य देखता है वह एक बुद्धिमान व्यक्ति है.'
13/13
12. काम में ढूंढें खुशी -
'जब वे अपने कार्य में आनंद खोज लेते हैं तब वे पूर्णता प्राप्त करते हैं.'

Mere papa

जब मम्मी डाँट रहीं थी
तो
कोई चुपके से हँसा रहा था,
वो थे पापा. . .

जब मैं सो रहा था
तब कोई चुपके से
सिर पर हाथ फिरा रहा था ,
वो थे पापा. . .

जब मैं सुबह उठा तो
कोई बहुत थक कर भी
काम   करे जा रहे थे ,
वो थे पापा. . .

खुद कड़ी धूप में रह कर
कोई मुझे ए.सी. में
सुला रहा था,
वो थे पापा. . .

सपने तो मेरे थे
पर उन्हें पूरा करने का
रास्ता कोई और बताऐ
जा रहा था ,
वो थे पापा. . .

मैं तो सिर्फ अपनी खुशियों में
हँसता हूँ,
पर मेरी हँसी देख कर
कोई अपने गम
भुलाऐ जा रहा था ,
वो थे पापा. . .

फल खाने की
ज्यादा जरूरत तो उन्हें थी,
पर कोई मुझे सेब खिलाए
जा रहा था ,
वो थे पापा. . .

खुश तो मुझे होना चाहिए
कि वो मुझे मिले ,
पर मेरे जन्म लेने की
खुशी कोई और मनाए
जा रहा था ,
वो थे पापा. . .

ये दुनिया पैसों से चलती है
पर कोई सिर्फ मेरे लिए
पैसे कमाए
जा रहा था ,
वो थे पापा. . .

घर में सब अपना प्यार दिखाते हैं
पर कोई बिना दिखाऐ भी
इतना प्यार किए
जा रहा था ,
वो थे पापा. . .

पेड़ तो अपना फल
खा नही सकते
इसलिए हमें देते हैं…
पर कोई अपना पेट
खाली रखकर भी मेरा पेट
भरे जा रहा था ,
वो थे पापा. . .


मैं अपने “बेटा” शब्द को
सार्थक बना सका या नही..
पता नहीं…
पर कोई बिना स्वार्थ के
अपने “पिता” शब्द को
सार्थक बनाए
जा रहा था ,
वो थे पापा!




Indian army

हर समय और हमेशा, आपके देश की सुरक्षा, सम्मान और कल्याण सबसे पहले आता है.




आपकी कमान की सुरक्षा, सम्मान और कल्याण उसके बाद आती है.

अपनी खुद की आसानी, आराम और सुरक्षा सबके बाद आती है.भारतीय सेना





अपने जीवन की जिम्मेदारी स्वीकार करे. यह समझ ले की वो आप ही है जो आपको वहा ले जायेगा जहाँ आप जाना चाहते है.भारतीय सेना






माँ तुमसे मिलने आया था, कुछ पल साथ बिताने को, कुछ खुशियां देकर जाने को, कुछ खुशियां लेकर जाने को.
दुश्मन ने धावा बोला है, माँ उसको धुल चटाना है, अब तुम मुझको मत रोको, मुझको सरहद पर जाना है!!
याद बहुत आते है पापा, कंधो पर जो आप घुमाते थे, कभी मम्मी थप्पड़ लगाती थी, चॉकलेट से हमें मनाते थे.
बहुत दिखाए गाँधी हमने, भगत सिंह को अब दिखाना है, पापा अब मुझको मत रोको, मुझको सरहद पर जाना है!!भारतीय सेना






जब तुम घर जाओ, उन्हें हमारे बारे में बताना और कहना, उनके भविष्य के लिए, हमने अपना वर्तमान दे दिया.भारतीय सेना




Neend- नींद


कभी नींद नहीं आती है 
आज सोने को “मन” नहीं करता 
कभी छोटी सी बात पर आँशु बहजाते है
आज रोने तक का “मन” नहीं करता  
जी करता था लूटा दूँ खुद को या लुटजाऊ खुद पे
आज तो खोने को भी "मन" नहीं करता  
पहले शब्द कम पड़ जाते थे बोलने को 
लेकिन मुँह खोलने को “मन ” नही करता 
कभी कड़वी याद मिठे सच याद आते है
आज सोचने तक को “मन” नहीं करता 
मैं कैसा था ?और कैसा हो गया हूँ  
लेकिन आज तो ये भी सोचने को “मन” नहीं करता

Yaaraana

आज मेरा बर्थडे है। मुझे लगा भूल गए वो मेरे यार, लडकियो ने मुझे बताया आज तेरा बर्थडे है।   पर मैं चुप था । क्युकी ये बर्थडे भी कोई बर्थडे था, वो  कमीनो की फोज साथ ना थी ।
फिर उसका संदेश आता है ।
      मैगी की याद दिलाता है ।
          वो मेरा मैगी खाना
   उनकी दारू से चकना चुराना
   वो उनका चिलाना
          मेरा गाली दे कर भाग जाना
     तब भी दारू पीते हुए मुझे बुलना
कहा गया वो गुजरा जमाना
        मुझे बहुत याद आता है, उन कमीनो  का याराना
पैसे होने पर भी उन की जेब कटवाना
      मुझे बहुत याद आता है, उन कमीनो  का याराना

Save girls child

भारतीय समाज में छोटी बच्चियों के खिलाफ भेदभाव और लैंगिक असमानता की ओर ध्यान दिलाने के लिये बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ नाम से प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा एक सरकारी सामाजिक योजना की शुरुआत की गयी है। हरियाणा के पानीपत में 22 जनवरी 2015, बुधवार को प्रधानमंत्री के द्वारा इस योजना की शुरुआत हुयी। ये योजना समाज में लड़कियों के महत्व के बारे लोगों को जागरुक करने के लिये है। कन्या भ्रूण हत्या को पूरी तरह समाप्त करने के द्वारा लड़कियों के जीवन को बचाने के लिये आम लोगों के बीच ये जागरुकता बढ़ाने का कार्य करेगी तथा इसमें एक लड़के की भाँति ही एक लड़की के जन्म पर खुशी मनाने और उसे पूरी जिम्मेदारी से शिक्षित करने के लिये कहा गया है

1. बेटी है तो कल है.


2. बेटी हैं कुदरत का उपहार, जीने का इसको दो अधिकार.

3. बेटी को मरवाओगे तो दुल्हन कहा से लाओगे.

4. चाहे मुन्ना चाहे मुनिया, एकही बच्चे की प्यारी दुनिया.

5. खुशहाल बालिका भविष्य देशका.

6. दहेज़ लेना देना सामाजिक अपराध है

.7. माँ चाहिए…. पत्नी चाहिए…. बहन चाहिए…. फिर बेटी क्यों नहीं चाहिए ?

8. बहुत सरल है पेट में करना मुझप पर वार, हिम्मत है तो ए माँ! मुझको पैदा करके मार….

9. लक्ष्मी-नारायण, राधे-श्याम, सीता-राम, गौरी-शंकर, – जब पुजीनीय भी पहले नारी…. फिर नर,

10. तो फिर क्यों नहीं देते लड़कियों को जन्म का अवसर.

Time Thoughts


कलम उठाई है लफ्ज़ नहीं मिलता, जिसको ढूंढ़ रहे हैं वो शक्स नहीं मिलता, फिरते हैं वो जमाने की तलाश में, बस हमारे लिए ही उन्हें वक़्त नहीं मिलता..


  वक्त किसी के लिए रुकता नहीं 

झुकने से भी ये झुकता नहीं 
  जी ले इस पल को जितना जीना है
 फिर दर्द में इंसान झुकता नहीं 




वक़्त कहता है फिर ना आऊगा, आप की आँखों को न अब रूलाऊगा, जीना है तो इस पल को जी लो, शायद मै कल तक ना रूक पाऊगा।

ग़रीबी

किसी शायर  ने कहा है!!!!
    यूँ न झाँका करो किसी गरीब के दिल में,
वहाँ हसरतें बेलिबास रहा करती हैं।
कुछ महान लोगो ने लिखा है!!!
. गरीब वह नहीं है जिसके पास कम है, बल्कि धनवान होते हुए भी जिसकी इच्छा कम नहीं हुई है, वह सबसे गरीब है। – अश किंग
2. किसी भी प्रकार की गरीबी हमारा ईश्वर से उचित सम्बन्ध जोड़ देती है जब कि हर प्रकार की अमीरी, चाहे मन की हो या धन की, हमारा उससे विच्छेद करा देती है। – फ्रेंक क्रासले
3. गरीबी दैवीय अभिशाप नहीं, मानवीय सृष्टीहै।  – महात्मा गाँधी
4. जो गरीबों पर दया करता है, वह अपने कृत्यों से ईश्वर को ऋणी बनाता है। – इंजील
5. उस मनुष्य से गरीब कोई नहीं है, जिसके पास केवल पैसा है। – एडविन पग
6. गरीब रोटी खोजता है और अमीर भूख। – डेनिश कहावत
7. गरीबी अपमानजनक नहीं है, बल्कि इसकी भयावहता पीड़ादायक है। – मिल्टन बेरेल
8. गरीबी मनुष्य को बुद्धिमान बनती है। – विलियम शेक्सपीयर
9. अगर करना उतना ही आसान होता जितना की जानना की क्या करना अच्छा है, तो शवगृह गिरिजाघर होते और गरीबो के झोंपड़े महल। – विलियम शेक्सपीयर
10. आन्तरिक दरिद्रता ही बाहर की दरिद्रता बनकर प्रकट होती रहती है । – पं. श्रीराम शर्मा आचार्य
11. गरीबी सभी बुराइयों की जड़ है। ना कि गरीब।
12. उम्मीद पर वो सारा जीवन काट लेता है, आँसू के कतरो से मुस्कान छाँट लेता है, अमीरों की भूख है जो कभी कम नहीं होती, मेरे देश का गरीब तो आधा निवाला भी बाँट लेता है।
13. जमीर का फ़क़ीर ना सही, बेअक्ल या सग़ीर नहीं हूँ मैं । पैसे से अमीर ख़ुदा ने नवाजा नहीं, मगर दिल का गरीब नहीं हूँ मैं ।
14. कुबेर भी यदि आय से अधिक व्यय करे तो निर्धन हो जाता है । – चाणक्य
15. गरीबों के बहुत से बच्चे होते हैं , अमीरों के सम्बन्धी । – एनॉन
16. गरीबों की सेवा ही ईश्वर की सेवा है । – सरदार वल्लभभाई पटेल
17. गरीबी दैवी अभिशाप नहीं बल्कि मानवरचित षडयन्त्र है । – महात्मा गाँधी
18. गरीब वह है जिसकी अभिलाषायें बढी हुई हैं । – डेनियल
बताना मेरा मकसद नहीं था, आप लोगो के पास कुछ लोग ऐसे भी होंगे जिन्हें एक वक्त का खाना भी नहीं मिलता तो कम से कम उनकी मदद करे!!!